वो मिली , हम मिले
मुलाकात तो रोज जैसे ही थी
पर क्यों न समज पाया मैं
वो मुलाकात कुछ और ही थी
नजरो में प्यार भी वही था
आँखों में भी कुछ नमी थी
पर चहरे पर छलक्नी वाली ख़ुशी
जाने कहा गयी थी ?
आंसू का सैलाब लेके
जोरे से वो मुझसे लिपट गयी
सहर उठा मन भी मेरा
जाने कौन सी बात दिल पे मेरे लगी थी ?
संभल कर खुदको उसने
हाथ हमारा थाम लिया
पर कुछ कदम साथ चलकर , उसने ये क्यों कहा की ...
इस जन्म का आपका -हमरा सफ़र पूरा हुवा |
सवाल मन में मेरे हजारो थे
बाते अनकही तो लाखो थी
पर क्यों न जान पाया मैं
वही मुलाकात हमारी आखरी थी |
By :-प्रफुल्ल शेंडगे
मुलाकात तो रोज जैसे ही थी
पर क्यों न समज पाया मैं
वो मुलाकात कुछ और ही थी
नजरो में प्यार भी वही था
आँखों में भी कुछ नमी थी
पर चहरे पर छलक्नी वाली ख़ुशी
जाने कहा गयी थी ?
आंसू का सैलाब लेके
जोरे से वो मुझसे लिपट गयी
सहर उठा मन भी मेरा
जाने कौन सी बात दिल पे मेरे लगी थी ?
संभल कर खुदको उसने
हाथ हमारा थाम लिया
पर कुछ कदम साथ चलकर , उसने ये क्यों कहा की ...
इस जन्म का आपका -हमरा सफ़र पूरा हुवा |
सवाल मन में मेरे हजारो थे
बाते अनकही तो लाखो थी
पर क्यों न जान पाया मैं
वही मुलाकात हमारी आखरी थी |
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