आजादी की मांग



आजादी मांग रही है ,आजादी मांग रही है
देश की मिटटी मेरी आज भी आजादी मांग रही है |

खून में लथपथ हिमालय की चोटी,
चींख चींख कर शांति मांग रही है |
भूक से तड़फती एक जान
एक रोटी मांग रही है |
देश की मिटटी मेरी आज भी आजादी मांग रही है |

मजदूरी की भुल्भुलाय्या में फसा,“छोटू ”
अपना बचपन मांग रहा है |
घर की लक्ष्मी, बेटी
खुदकी जान मांग रही है |
68 साल के आजाद देश की मिटटी मेरी ,आजादी मांग रही है |
By-----प्रफुल्ल शेंडगे

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